क्या त्रिफला फंगल इन्फेक्शन को ठीक कर सकता है?

फंगल इंफेक्शन आज एक आम समस्या है जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है जैसे – सिर की त्वचा, प्राइवेट पार्ट्स या नाखूनआदि।खुजली, जलन, दुर्गंध और लाल दाने इसके मुख्य लक्षण हैं। वही त्रिफला को आयुर्वेद में इन्फेक्शन से लड़ने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बेहद असरदार माना जाता है।
त्रिफला क्या है?
त्रिफला तीन फलों के मिश्रण से बनता है –
- आंवला (Amla)
- बहेड़ा (Bibhitaki)
- हरड़ (Haritaki)
इन तीनों के संयोजन से शरीर डिटॉक्स होता है जिससे शरीर को एंटी-फंगल गुण प्रदान होने और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
फंगल इंफेक्शन में त्रिफला कैसे मदद करता है?
- एंटी-फंगल प्रॉपर्टीज
हरड़ और आंवला में नेचुरल रूप से एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल के गुण उपस्थित होते है जो इनकी वृद्धि को रोक सकते है। - इम्युनिटी स्ट्रांग करना
फंगल इंफेक्शन बार-बार होने से भी इम्युनिटी पर असर पड़ता है। प्रतिरोधक छमता बढाकर यह फंगस को काबू करने में मदद करता है। - बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन
त्रिफला शरीर से टॉक्सिक्स पदार्थो को बहार निकालने में त्रिफला बहुत उत्तम आयुर्वेदिक दवा है। यह बॉडी को अंदर से प्यूरीफाई करता यही और संक्रमण के खतरे को कम करता है। - खुजली और सूजनसे राहत
त्रिफला लेप को खुजली वाले स्थान पर लगाने या उस जगह को धोने से जलन और लालिमा में आराम मिल सकता है।
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त्रिफला का उपयोग फंगल इंफेक्शन में कैसे करें?
- पाउडर की तरह: गुनगुने पानी या दूध में 1-2 चम्मच त्रिफला पाउडर मिलाकर प्रतिदिन लिया जा सकता है।
- काढ़ा (Decoction): फंगल इंफेक्शन वाले हिस्से को त्रिफला का काढ़ा बनाकर धोने से आराम मिलता है।
- लेप (Paste): प्रभावित जगह पर त्रिफला चूर्ण को नारियल तेल या पानी के साथ मिलाकर लेप रूप में लगाया जा सकता है।
सावधानियाँ
- डॉक्टर या वैद्य की सलाह के अनुसार ही त्रिफला का सेवन करें।
- संक्रमण अधिक फैलने पर सिर्फ घरेलू उपचार पर निर्भर न रहें और डॉक्टर से संपर्क करें।
- त्रिफला का सेवन करने से पहले गर्भवती और स्तनपान विशेषज्ञ से सलाह लें।
निष्कर्ष
त्रिफला में इम्युनिटी बढ़ाने और एंटी-फंगल से राहत देने वाले तत्व मौजूद होते है और यह शरीर के बाहर और अंदर दोनों तरह से कार्य करता है। हालांकि, रोग गंभीर होतो एलोपैथिक ले साथ इसका उपयोग कर सकते है लेकिन चिकित्साल परामर्श पर ही।