मिर्गी रोग जड़ से खत्म करें यह 6 घरेलू उपचार
मिर्गी रोग जड़ से खत्म करें- मिर्गी रोग के इलाज के लिए 80 प्रतिशत लोग दवाईयों का प्रयोग करते है वही करीब 20 प्रतिशत लोगों में दवाईयों का असर नहीं होता है। दवाईया आपके दौरों पूरी तरह से ख़त्म नहीं करती बल्कि उनको काफी हद तक नियंत्रित करती है जिससे दौरों का आना कम हो जाता है।
मिर्गी रोग जड़ से खत्म करें यह घरेलू उपचार – best home remedy(treatment) of epilepsy in hindi
दवाईयों सर्जरी के अलावा कुछ अन्य घरेलू विकल्प रामबाण की तरह होते है जिनकी हेल्प से मिर्गी को कण्ट्रोल कर सकते है –
जड़ीबूटियों व आयुर्वेद द्वारा मिर्गी रोग का इलाज
जैसा कि आप जानते होंगे कि आयुर्वेद में वात, पित और कफ के आधार में इलाज किया जाता है। इसके अनुसार आपको किस प्रकार क मिर्गी है उसी प्रकृति से इलाज किया जाता है।
- अगर वात मिर्गी(अपस्मार) है तो मन परेशान रहता है. सिर दर्द होता है।
- पित मिर्गी है तो भूख अधिक लगती है, दस्त की शिकायत हो सकती है और चिड़चडापन।
- कफ (अपस्मार) है तो मन उदास रहता है।
- इसमें स्मृतिसागर, कुचला, गुग्गल, अजवायन, हींग, शंखपुष्पी आदि के द्वारा रोगी के शरीर के प्रकृति के अनुसार उपचार किया जाता है इसलिए किसी अच्छे जड़ीबूटियों के चिकित्सक से ही उपचार करवाए।
- तुलसी के पत्तो को रोज खाइये इसमें एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा होती है। इससे दौरे कम पड़ते है।
- करीब आधा किलो अंगूर का रस का सेवन सुबह खाली पेट पीजिये।
- पेठे का सेवन करिये इसे नाड़ी की समस्या में सुधार आता है जिससे मिर्गी बीमारी में भी कमी आती है।
सही डाइट द्वारा मिर्गी रोग का उपचार
- एक अच्छी डाइट के जरिये आप दौरों को नियंत्रित करने की ओर पहला कदम बढ़ा सकते है यह आपकी मिर्गी के बचाव में बहुत असर करता है।
- केटोजेनिक डाइट जिसमे हाई फैट और लो कार्बोहायड्रेट जैसी चीज़ों का सेवन किया जाता है जिससे बच्चो में मिर्गी के दौरों को कम करने में सफलता मिली है। इसे किसी अच्छे न्यूट्रीशनिस्ट की देख में ही करें।
- एटकिंस जिसमे हाई प्रोटीन और कम कार्बोहाइड्रेट्स का इस्तेमाल किया जाता है से भी मिर्गी में उपयोगी है।
- चिकित्सक के परामर्श पर मछली के तेल का सेवन करिये यह मिर्गी रोग के उपचार में बहुत सहायक है। शोध में इस तेल से अधिकतर बच्चों में दौरों की समस्या में कमी दिखी।
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मिर्गी रोग के लिए योग
मिर्गी रोग में योगा करना काफी फायदेमंद होता है इसके लिए नियमित रूप से कपालभांति, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम, पवनमुक्तासन और भ्रामरीप्राणायम जिसमे मधुमक्खी जैसी आवाज़ निकाली जाती है करना अच्छा रहता है।
विटामिन्स से मिर्गी दूर
विटामिन बी 6 मिर्गी रोग को अधिक ट्रिगर करता है। जब शरीर में विटामिन 6 की कमी हो जाती है तो भी इंसान मिर्गी से पीड़ित हो जाता है पर यह दुर्लभ प्रकार की मिर्गी होती है जो अधिकांश गर्भ में या जन्म लेने के बाद होती है जिसे पैराडोक्सिन डिपेंडेंट सिजर्स कहते है। बॉडी सिस्टम को संतुलित करने के लिए विटामिन डी की सलाह दी जाती है। क्योंकि इसकी कमी भी यह इस रोग का कारण हो सकता है। इसलिए अपने आहार में इस विटामिन को शामिल करें जो अंडे के पीले भाग में, सुबह की 20 मिनट की धूप. सोया ढूध आदि में पाया जाता है।
अन्य उपाय
- अधिक तनाव लेने से बचे। अपने मन और मष्तिष्क को शांत करने के लिए ध्यान लगाए या अच्छी नींद लें। जिससे दिमाग के विद्युत सिग्नल का पैटर्न बदले।
- बायोफीडबैक के द्वारा जिसमे दौरे पड़ने के पहले ही उसके लक्षणों का पता चल जाता है जिससे रोगी सतर्क हो जाता है इसके लिए बहुत अधिक ट्रेनिंग की जरुरत होती है।
- व्यायाम करें। रोज 40 मिनट चले। इससे चिंता कम होती है।
- हल्के योग भी कर सकते है जैसे – शीर्षासन, बलासन।
- मिटटी को पानी में गीली करके पूरे शरीर में लगाइये फिर एक घंटे में नहा लीजिये।
- सोचने में मदद के लिए थयामिन मदद कर सकता है। इसे विटामिन बी1 भी कहते है जो बादाम, मांस, अनाज में पाया जाता है।
कुछ समय तक इन घरेलू विधियों का प्रयोग करने से कुछ हद तक सिजर्स (दौरों) को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
एक्यूपंचर द्वारा
किसी एक्यूपंचर स्पेशलिस्ट से एक्यूपंचर करवाए इससे शरीर में एनर्जी का सर्कुलेशन होता है। इस विधि में शरीर के किसी भाग में पतली सुई का प्रयोग किया जाता है। स्वयं से करने का प्रयास कतई न करें।
डिस्क्लेमर
इन घरेलू उपचारों से मिर्गी की बीमारी को काफी हद तक काबू किया जा सकता है यदि इनसे लाभ नहीं होता है तो डॉक्टर को दिखाए। यह एक सामान्य जानकारी है।