पारिजात (हरसिंगार) के पत्ते का काढ़ा के लाभ, कैसे बनाएं एवं सावधानियां
पारिजात (हरसिंगार) के पत्ते का काढ़ा-आयुर्वेद में कुछ ऐसे पौधे, पत्तिया और फूल है ऐसे है जिनका उपयोग उपचार के लिए काढ़े और रस के रूप में किया जाता है और इनका इस्तेमाल का तरीका भी बेहद सरल होता है। पारिजात के पत्ते भी कुछ इसी तरह के जो अपने नाम और काम दोनों के लिए प्रसिद्ध है।

पारिजात या हर सिंगार भारत के बंगाल, असम, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित उपहिमालयी जगहों पर पाया जाता है जहां इनकी ऊंचाई एक हजार मीटर से भी अधिक हो सकती है।
पारिजात के बीज, फूल, पत्तो, छाल और जड़ो सहित सभी भाग उपयोगी होते है। हरसिंगार के फूल रात में समय खिला करते है और अगले दिन दुभ भूमि पर गिरे हुए मिलते है इसकी खुश्बू बहुत अच्छी होती है। आइए जाने कि पारिजात के पत्तों का काढ़ा कैसे बनता है, इसे कब और कितने दिन तक पीना चाहिए और फायदे एवं नुकसान।
पारिजात (हरसिंगार) के पत्ते का काढ़ा कैसे बनाएं?
हरसिंगार (Parijat) के पत्तों का काढ़ा बनाने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें:
सामग्री:
- ताजे हरसिंगार के पत्ते – 5-7
- पानी – 2-3 गिलास
- सौंफ (वैकल्पिक) – 1/2 चम्मच
- गुड़ या शहद (स्वादानुसार) – 1/2 चम्मच
विधि:
- हरसिंगार के ताजे पत्तों को अच्छे से धो लें।
- 2 से 3 गिलास पानी में पत्तों को डालकर उबालें।
- पानी जब आधा रह जाए, तो इसे छान लें।
- स्वाद के लिए थोड़ा शहद या फिर गुड़ मिला सकते हैं।
- इसे गुनगुना ही पिएं।
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पारिजात (हरसिंगार) के पत्ते का काढ़ा कब पीना चाहिए?
पारिजात के पत्ते का काढ़ा कब पीना चाहिए हरसिंगार के पत्ते कितने दिन पीना चाहिए?
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- शरीर को अधिकतम लाभ देने के लिए सुबह खाली पेट ले
- यदि आपको अनिद्रा या जोड़ों का दर्द की समस्या है तो रात को सोने से पहले।
- वायरल इंफेक्शन, सर्दी-जुकाम होने पर सुबह और शाम दिन में 2 बार ।
हरसिंगार (पारिजात) के पत्तों का काड़ा कितने दिन पीना चाहिए?
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- गठिया, जोड़ों के दर्द और सर्दी-खांसी के लिए: 15 से 20 दिन तक रोज़ पिएं।
- इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए: हफ्ते में 2 से 3 बार सेवन करें।
- बुखार (डेंगू, मलेरिया) के लिए: बुखार ठीक होने तक दिन में दो बार।
- अत्यधिक सेवन से बचें – 1 महीने तक लगातार पीने के बाद ब्रेक लें और जरूरत हो तो दोबारा शुरू करें।
पारिजात के पत्ते का काढ़ा पीने के फायदे
पारिजात, को हरसिंगार भी कहा जाता है, जो एक आयुर्वेदिक ठंडी तासीर वाला औषधीय पौधा माना जाता है। इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से गठिया, बुखार,जोड़ों के दर्द, और इम्यूनिटी बूस्ट करने में बहुत उपयोगी होता है।
1- जिन्हे बालों में डैंड्रफ की प्रॉब्लम है उन्हें पारिजात के बीज को पीस कर स्कैल्प में लगाने से सिर की रुसी से निजात मि सकती है।
2- हर हरसिंगार के जड़ को चबाने से गले के पास की घंटी जिसे गलशुंडी कहते है में सूजन से राहत मिलती है।
3- पारिजात के 500 मिलीग्राम छाल के चूर्ण खाने से खांसी की समस्या दूर सकती है।
4- अक्सर छोटे बच्चो और कई बड़ो को पेट में कीड़े होने की परेशानी हो जाती है इसके इलाज के लिए भी हरसिंगार के ताजे पत्ते के रस के साथ चीनी मिलाकर 5 मिलीग्राम का सेवन करने से आंतो के कीड़े खत्म हो जाते है।
5- पारिजात पत्तो का 10 मिली काढ़ा डाइबिटीज के मरीजों के लिए भी लाभदयक हो सकता है।
6- बवासीर की समस्या में हरसिंगार के बीज लाभकारी हो सकते है इसे पीस कर बाहरी रूप से लगाने पर आराम हो सकता है।
7- हरसिंगार को फीमेल-टॉनिक भी कहा जाता है जो महिलाओं से सबंधित कुछ शारीरिक विकारो को दूर कउनके स्वास्थ्य को और भी अधिक बेहतर कर सकता है।
8- पारिजात के पत्तो को रस को दाद वाली जगह पर घिसने से दाद हल्के होने लगते है।
9- हरसिंगार या पारिजात के बीजो के लेप को सिर की त्वचा पर लगाने से स्त्री और पुरुष दोनों के गंजेपन के लिए फायदेमंद है।
10- हरसिंगार के पत्ते के रस में एक ग्राम त्रिकूट का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बुखार कम हो सकता है।
साइड इफेक्ट्स और सावधानियां
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- स्तनपान कराने वाली और गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
- अत्यधिक सेवन से अपच, हल्की एसिडिटी या पेट में गैस हो सकती है।
- एलर्जी होने पर है तुरंत सेवन बंद कर दें।
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हरसिंगार के पत्तों को उबालकर पीने से क्या होता है?
हरसिंगार के ताजे पत्तो को उबालकर पीने से छाती, कोहनी और घुटनो के दर्द से आराम मिलता है। इसके अतिरिक्त पेट का जमा मल भी साफ हो सकता है।
जोड़ों के दर्द के लिए पारिजात के पत्तों का उपयोग कैसे करें?
पारिजात के 4 से 5 पत्तो को पीसकर पानी में डालकर तब तक उबाले जब तक आधी मात्रा में न रह जाये।
पारिजात का फूल खाने योग्य है?
कुछ संस्कृतियों में पारिजात के फूल को तल कर खाने की प्रथा है। यह फूल रात में खिलता है और सुबह जमीन पर गिरे हुए मिलते है।
निष्कर्ष
पारिजात (हरसिंगार) के पत्तों का काढ़ा प्राकृतिक रूप से कई बीमारियों में फायदेमंद होता है। यदि इसे सही तरीके और उचित समय पर पिया जाए, तो यह शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने, जोड़ों के दर्द को कम करने और बुखार जैसी समस्याओं में राहत दिलाने में मदद करता है। लेकिन किसी भी आयुर्वेदिक उपाय को अपनाने से पहले उचित परामर्श लेना जरूरी होता है।