हाइपरट्रॉफिक और केलॉइड निशान क्या है जानिए इसके घरेलू उपचार
हाइपरट्रॉफिक और केलॉइड में अंतर – difference between hypertrophic scars and keloid scars in hindi
स्कार्स (निशान) दो प्रकार के होते है हाइपरट्रॉफिक और केलॉइड निशान। दोनों देखने में तो निशान या स्कार ही है लेकिन दोनों में ही आकार और उभार में काफी अंतर है।
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हाइपरट्रॉफिक स्कार्स सामान्यतः लाल, कम उभार और अधिक फैले नहीं होते है तथा कुछ ही हफ्तों में यह सपाट, पीले और हल्के होने लगते है। यह चोट के लगने के क्षेत्र तक ही सिमित रहता है।
यह कई फाइब्रो ब्लास्टिक कोशिकाओ और छोटे कोलेजन फाइबर के संगठन से बनते है और एक सीमा(बाउंडरी) के भीतर रहते है। जब घाव भरने के दौरान आस पास बहुत अधिक खिचाव या तनाव होता है तो स्किन पहले जैसी लचीली नहीं रहती है। ये केलॉइड की तरह घाव के आगे नहीं बढ़ते है। यह शुरू में लाल रंग के होते है लेकिन बाद में इनका रंग हल्का होने लगता है।
इसके विपरीत केलॉइड निशान आपके घाव से भी बड़े होकर फैलने लगते है और खुद से छोटे नहीं होते है। ये चोट लगने के काफी साल बाद भी आ सकते है। जहां केलॉइड निकलता है वहां का हिस्सा ऊपर की तरफ उठ जाता है। डार्क स्किन वाले केलॉइड स्कार का अधिक निर्माण करते है। यह छाती, पीठ, कान, हाथ कही भी हो सकते है।
केलॉइड का निर्माण कैसे होता है
अनियंत्रित (उनकंट्रोलड) मोटे व बड़े कोलेजन फाइबर होते है जो कई तंतुओं के साथ संगठित रहते है। ये हल्के लाल रंग के हो सकते है और इनमे खुजली होती है। जब कोई चोट या जख्म होता है और वह ठीक होने लगता है तो स्किन की कोशिकाएं और संयोजी ऊतक (फाइब्रो ब्लास्टिक) डबल काम करना शुरू कर देती है जिससे जख्म ठीक होने के बाद भी यह क्रिया चलती रहती है और स्किन मोटा उभरा हुआ नजर आने लगता है।
केलॉइड होने का कारण – reasons of keloid in hindi
- आवश्यक टैटू न बनवाये
- स्किन में पिम्पल वगैरा होने से बचाये, यदि निकलते है तो उनका शीघ्र उपचार करें।
- कान, नाक या किसी जगह पर छिद्र करवाने से
- जल जाने पर किसी कीड़े के काटने पर
केलॉइड का इलाज – treatment of keloid scar in hindi
तेल
इसका उपयोग ऊतक को नरम करने के लिए किया जाता है ताकि खिंचाव कम हो लेकिन इससे केलॉइड पूरी तरह खत्म नहीं है। डॉक्टरी सलाह पर लें।
क्रीम
यदि आपको चोट लगने के वजह से स्कार हुआ है और वह हल्के है तो आप ओवर द काउंटर पर स्कार कम करने वाली क्रीम का इस्तेमाल कर सकते है। अमेज़ॉन पर आप इस को भी ले सकते है।
सर्जरी –
इसमें केलॉइड स्कार्स को पूरी तरह निकाल तो दिया जाता है पर यह फिर से आ सकते है।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन –
इसे 4 से 7 हफ्तों में एक बार केलॉइड ऊतकों में लगाया जाता है जिससे उभार को कम किया जा सके। यह प्रक्रिया दर्द देती है।
लेजर विधि –
इस विधि को सुरक्षित और असरदार माना गया है।
केलॉइड का इलाज कौन नहीं करा सकता है
- जिन्हे कोई पुरानी गंभीर बीमारी जिसका उचार अभी तक न किया गया हो वे न कराये
- प्रेग्नेंट महिलाएं
- बच्चे