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जात्यादि तेल बवासीर के लिए कैसे उपयोग करे और इसके फायदे

जात्यादि तेल-चित्र में शीशी में तेल और ड्राप
                              जात्यादि तेल

जात्यादि तेल के बारे में बताएं

जात्यादि तेल एक औषधीय आयुर्वेदिक तेल है, जिसका उपयोग त्वचा संबंधी समस्याओं के के लिए उपयोग किया जाता है। यह घाव भरने, त्वचा के संक्रमण दूर करने, जलन कम करने और विभिन्न प्रकार के चर्म रोगों के लिए प्रभावी माना जाता है। इस तेल में जात्यादि (जाती), मंजिष्ठा, तिल का तेल, पद्मक, तथा नीम, हरिद्रा, मुख्य रूप से होती हैं, इसके अलावा भी अन्य तरह की जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है।

जात्यादि तेल किस काम आता है?

जात्यादि इन समस्याओं के लिए उपयोग किया जा सकता है:

  • भगंदर और बवासीर(piles) में बाहरी त्वचा को ठीक कर सूजन कम करने में मददगार
  • घाव भरने, जलने, या कटने के लिए
  • एक्जिमा, खुजली, और फोड़े-फुंसी जैसी समस्याओं से राहत देने के लिए
  • दाद-खाजत्वचा और संक्रमण  जैसी समस्याओं में उपयोगी
  • एलर्जी और सनबर्न से प्रभावित त्वचा के लिए

बवासीर और फिशर के लिए जात्यादि तेल कैसे लगाएं ?

जत्यादी तेल में रुई की पट्टी लें और डुबोएं।
अब इस पट्टी से गुदा में तेल लगाएं।
एक बार पट्टी से तेल लगा लेने पर उसे फिर से न डुबोये बल्कि दूसरी पट्टी लें।

जात्यादि तेल फिशर price

प्रत्येक ब्रांड की कीमत अलग हो सकती है सामान्यतः 20 ग्राम जात्यादि तेल 60 रुपये के आस-पास हो सकता है।

जात्यादि तेल का उपयोग कैसे करें?

इस तेल का सही तरीके से उपयोग करने से अधिकतम लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।

  1. बवासीर, फिशर और भगंदर के लिए – रुई में तेल लेकर प्रभावित जगह पर लगाएं।
  2. जलन और घाव पर -हल्के गुनगुने पानी से प्रभावित क्षेत्र को साफ करें और फिर साफ उंगली की मदद से या कॉटन से जात्यादि तेल लगाएं।
  3. त्वचा संक्रमण में -दिन में 2-3 बार प्रभावित जगह पर  हल्के हाथों से मालिश करें।
  4. खुजली और फोड़े-फुंसी में – हल्की मालिश करें और कुछ घंटों तक लगा रहने दें।
  5. रात में लगाए – प्रभावित जगह पर रात में लगाने से त्वचा अच्छे से अवशोषित कर सकती है।

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जात्यादि तेल कैसे बनता है?

आयुर्वेदिक जात्यादि तेल को पारंपरिक पद्धति से तैयार किया जाता है। इसके निर्माण की निम्नलिखित प्रक्रिया से होती है:

  1. मुख्य जड़ी-बूटियाँ एकत्र करना – इसमें जात्यादि (जास्वंद), नीम, हरिद्रा (हल्दी), पद्मक, मंजिष्ठा इत्यादि वनस्पतियाँ ली जाती हैं।
  2. तिल के तेल आधार रूप में – सभी तत्वों को तिल के तेल में पका लिया जाता है ताकि इनके गुण तेल में समाहित हो सकें।
  3. विशेष– इसे धीमी आंच पर देर तक पकाया जाता है और छानकर शुद्ध कर लिया जाता है।
  4. स्टोरेज– तैयार तेल  शीशी या बोतल में भरकर सुरक्षित रखा जाता है।

जात्यादि तेल कैसे लगाएं?

जात्यादि तेल को सही तरीके से लगाने के लिए निम्नलिखित चरण अपनाएं:

  1. प्रभावित स्थान को पहले हल्के गर्म पानी से धो लें।
  2. साफ उंगलियों या रूई की सहायता से तेल लगाएं।
  3. जरुरी तो हल्की पट्टी बांध सकते हैं।
  4. दिन में 2 से 3 बार या जैसा चिकित्सक निर्देश दे।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में जात्यादि तेल के सम्बन्ध में सामान्य जानकारी प्रदान की गयी है।  इसके नियमित उपयोग से घाव और संक्रमण जल्दी ठीक हो सकते है लेकिन कृपया इसके इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टरी परामर्श अनिवार्य है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या हम बवासीर के लिए जात्यादि तेल का उपयोग कर सकते हैं?

हाँ, बवासीर के लिए घाव के बाहरी त्वचा पर रुई से तेल लगा सकते है यह न केवल संक्रमण दूर कर सकता है बल्कि सूजन और खुजली में भी राहत दे सकता है।

क्या जात्यादि तेल फंगल इन्फेक्शन के लिए अच्छा है?

जात्यादि तेल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल दोनों के ही गुण उपस्थित होते हैं, जो स्किन पर इस टी ेल की हल्की मसाज से बैक्टीरियल इंफेक्शन और फंगल दूर कर सकते है

जात्यादि तेल की कीमत क्या है?

जात्यादि तेल की औसत कीमत 130 रुपये हो सकती है जिसे ऑनलाइन या मार्किट से ले सकते है।

 

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