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बुद्ध जी की इस प्रेरक कहानी से आलस्य करना भूल जाएंगे Buddha’s inspirational story for laziness in hindi

Buddha inspirational/motivational story in hindi व्यक्ति के जीवन में आलस्य एक बांधा है जो उसे उसके लक्ष्य तक पहुंचने से रोकती है आईये गौतम बुद्ध की इस प्रेरक कहानी से जाने कि आलस्य का मूल कारण क्या है और किस तरह उसे अपने मन मस्तिष्क से हटाया जा सकता है  

सुनहरे गौतम बुद्ध ध्यानमग्न - Buddha's inspirational story
Buddha’s inspirational story

 

किसी नगर में एक व्यक्ति रहता था वह बहुत आलसी(lazy) था और उसे यह बात पता थी। एक दिन वह बुद्ध जी के पास आया और दुखी मन से बोला, बुद्ध जी मै बहुत आलसी हूं और अपने अलास्यपन के कारण मुझसे कोई भी कार्य सही समय पर नहीं होता है और न हीं ठीक से कर पाता हूं। मेरे घर में सभी मुझसे परेशान है। कृपया बताइए मै क्या करू।

बुद्ध जी मुस्कुराए और बोले तुम्हे कैसे पता कि तुम आलसी हो और किस प्रकार का आलस्य है तुम्हे।

व्यक्ति ने कहा मुझे यह तो ठीक से नहीं पता की आलस्य वाकई में क्या होता है लेकिन यह जो भी है बहुत बुरा है।

बुद्ध जी ने कहा आलस्य एक मानसिक अवस्था होती है जो एक विचार है, भाव है जिसे इंसान अपने अन्दर लाता है। मनुष्य को दो प्रकार से आलस्य आता है शारीरिक और मानसिक।

शारीरिक आलस्य का कारण भोजन है। जब हम ऐसा भोजन करते है जिसमें खुद कोई जीवन नहीं है तो शरीर के लिए बोझ बन जाता है और फिर यह आलस्य पैदा करता है, क्योंकि हमारा शरीर भोजन से मिलने वाली ऊर्जा पर चलता है, जैसा भोजन हम इसे देते है वैसी ऊर्जा यह हम देता है ।

इसलिए आलस्य से बचना चाहते हो तो आराम और आसानी से पचने वाला भोजन करो जो प्राकृतिक रूप से हम मिलता है। शारीरिक स्तर पर ही दूसरा कारण है सही से ना बैठना, सही से ना सोना और सही से ना चलना। बुद्ध जी ने आश्रम के भिछुओं की तरफ इशारा किया और कहा देखो इन भिच्छुओं को ध्यान से देखो इनके चलने, बैठने और लेटने में संतुलन है।

जब ये चलते है तो इनके पैरो के बीच तालमेल होता है, बैठते है तो गर्दन ऊपर और रीढ़ कि हड्डी बिल्कुल सीधी होती है, जब लेटते है तो शरीर बिल्कुल स्थिल और तनाव रहित होता है जिससे वे आरामदायक और गहरी नींद लेते है।

व्यक्ति बोला क्या पर्याप्त नींद आवश्यक है, बुद्ध बोले हा ना कम ना अधिक, यदि रात को पर्याप्त नींद नहीं लेते हो तो कल का दिन आलस्य और थकान से भरा होगा।

व्यक्ति ने कहा आपने सच कहा यह मैंने भी महसूस किया है।

बुद्ध बोले शारीरिक स्तर पर तीसरा कारण है सुबह जल्दी ना उठना। जल्दी तभी उठ पाओगे जब रात को सही समय पर सोगे।

इन आश्रम के भिच्चुओं को देखो इनके रात का सोने का समय निश्चित है, तभी यह सब जल्दी उठते है। हर एक भिच्चु का अनुशासन होता है और वही इनके जीवन में संतुलन लाता है।

इंसान अनुशासन को एक बंधन समझता है, लेकिन यह सच नहीं है अनुशासन हमें बांधता नहीं बल्कि आजाद करता है।

बुद्ध जी ने व्यक्ति से कहा यदि आलस्य से बचना चाहते हो तो एक निश्चित दिनचर्या बना लो।

व्यक्ति बोला लेकिन शुरुवात कहा से करे, चलने से, बैठने से, लेटने से या सुबह जल्दी उठने से।

बुद्ध जी बोले – इसी समय से, जो भी कर रहे हो उस ध्यान से करो, मन के स्तर से आलस्य को समझो ।

मानसिक स्तर का पहला करण- जब हम किसी कार्य को करने के लिए खुद को काबिल नहीं समझते तो हम आलस्य आता है क्योंकि हम वह कार्य पहले भी नहीं कर पाए थे। हम मन को यह नहीं समझाते की पहले और अभी के कार्य में बहुत फर्क है साथ ही मानसिक तौर पर हम वह नहीं है जो पहले थे। तब से लेकर अबतक हमने बहुत कुछ सीखा है। मानसिक आलस्य से बचना है तो खुद पर विश्वास करना सीखो।

मानसिक स्तर पर दूसरा कारण है अलसी और छोटी सोच वाले व्यक्तियों के साथ रहना। कई बार देखा गया है कि हम आलसी नहीं होते लेकिन ऐसी लोगो के साथ रहने से हम भी वैसी ही हो जाते है। वह व्यक्ति बोला आप सही कह रहे है यह भी मैंने महसूस किया है।

बुद्ध बोले मानसिक स्तर का तीसरा कारण है काम को टालना।  मानसिक तनाव का सबसे बड़ा कारण है, हमें पता नहीं चलता लेकिन धीरे धीरे यह आदत हमारे अंदर घर कर जाती है और जिंदगी खराब कर सकती है। इसलिए को कार्य आज कर सकते है उस आज ही करो कल नहीं।

बुद्ध ने कहा मानसिक आलस्य का चौथा कारण है लक्ष्य स्पष्ट ना होना मान लो तुम एक रेगिस्तान में फंसे हो और तुम्हे प्यास लगी है तो क्या करोगे।

वह व्यक्ति बोला मै पानी ढूंढने के लिए आस पास किसी गांव की तलाश करूंगा।

बुद्ध बोले यदि गांव नहीं मिला तो क्या करोगे।

वह व्यक्ति बोला तो भी में ढूंढने का प्रयास करूंगा क्योंकि मेरे पास और कोई विकल्प नहीं।

बुद्ध बोले जब किसी के पास स्पष्ट लक्ष्य ना होना है। यदि सुबह उठकर व्यायाम नहीं कर पा रहे हो तो तुम्हारी नज़र सपष्ट नहीं है कि तुम्हे व्यायाम क्यों करना है। यदि तुम भविष्य में होने वाले रोगों के प्रति सचेत नहीं हो

मानसिक आलस्य का पांचवा कारण है किसी कार्य को करने की बड़ी वजह ना होना, मान लो तुम किसी सुनसान जगह से कीमती गहने लेकर जा रहे हो, तुम थक गए हो और बैठना चाहते हो यह सोचकर तुम पेड़ के नीचे बैठ जाते हो। तुम देखते हो कि सामने से कोई डाकू आ रहा है तो क्या ऐसे में भी तुम्हारा आलस्य तुम्हे भागने से रोकेगा। नहीं

तुम्हारा आलस्य सिर्फ उन्हीं कार्यों को करने से रोकता जिन्हें करने की बड़ी वजह नहीं होती है।

बुद्ध ने कहा मेरी बात ध्यान से सुनो जहां स्पष्टता है और कार्य करने की बड़ी वजह वह आलस्य हो ही नहीं सकता।

वह व्यक्ति गौतम बुद्ध से बोला मुझे आलस्य का सारा खेल समझ आ गया।

 

निष्कर्ष 

Buddha’s inspirational story for life changing story in hindi आर्टिकल में आलस्य न करने की प्रेरक(मोटिवेशनल) कहानी बताई गयी है जिसे अपने जीवन में धारण करके व्यक्ति उचाईयों तक पहुँच सकता है।

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